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स्वदेशी हर्बल ज्ञान को पेटेंट के माध्यम से मिली मान्यता

स्वदेशी हर्बल ज्ञान को पेटेंट के माध्यम से मिली मान्यता

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नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर तथा गुजरात के हर्बल पारंपरिक ज्ञान के संरक्षकों को पहले कश्मीर विश्वविद्यालय में तथा बाद में 22 अक्टूबर, 2024 को राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन, गांधीनगर में आयोजित सम्मान कार्यक्रमों में हर्बल पेटेंट प्रदान किए गए। भारत को पारंपरिक हर्बल ज्ञान प्रणालियों के समृद्ध संसाधन से नवाजा गया है। इन मूल्यवान प्रणालियों को देश भर में उत्कृष्ट पारंपरिक विद्वानों द्वारा संरक्षित और बनाए रखा जा रहा है जिससे प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता को बढ़ावा मिल रहा है।

गौरतलब हैं कि ये विद्वान अपने पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर बातचीत करते हैं और अनुभवों, प्रयोगों तथा ज्ञान के माध्यम से संचित स्थानीय वनस्पतियों की गहरी समझ रखते हैं। ये पद्धतियां अपने क्षेत्र में पशुधन सहित मानव स्वास्थ्य और कृषि में चुनौतियों को हल करने के लिए उपकरण का काम करती हैं।  ये सतत् प्रयास पर्यावरणीय स्वच्छता और रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर बढ़ती चिंता के साथ  अपना महत्व कायम रख  रही हैं। ऐसी हर्बल दवाओं को स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में एकीकृत करने के लिए मान्यता दी जानी चाहिए और वैज्ञानिक रूप से मूल्यवान बनाया जाना चाहिए।

नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया (एनआईएफ) देश की स्वदेशी ज्ञान प्रणाली के संरक्षण पर बल दे रहा है। एनआईएफ ने उत्कृष्ट पारंपरिक ज्ञान प्रथाओं के विशाल  भंडार को विकसित किया है और बौद्धिक संपदा [आईपी] अधिकारों के माध्यम से इस ज्ञान को संरक्षित किया है। इनमें से कई प्रौद्योगिकियों को आईपी संरक्षित किया गया था ताकि  सामाजिक लाभ के लिए इन  प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने के अवसर पैदा हो सकें । वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ इन स्वास्थ्य परंपराओं को संरक्षित करने से  सामाजिक लक्ष्यों के लिए अनौपचारिक और औपचारिक प्रणाली के बीच संबंध को बढ़ाया जा सकता है।

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