
रायपुर। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर 26 फरवरी को गोधुलि बेला में शाम 4 बजे से देंवेंद्र नगर फोकटपारा स्थित मां कामाख्या मंदिर में जन कल्याण के साथ सर्व मनोकामना सिद्धि के लिए 14 पारद शिवलिंगों का गंगाजल, दूध, दही, शहद, शक्कर से अभिषेक किया जाएगा। मनोकामना सिद्धि के लिए बेल पत्र में केशर चंदन से ओम नम: शिवाय लिखकर भगवान भूत भावन का अभिषेक होगा। साथ ही श्रद्धालुओं और मंदिर समिति के सदस्यों के कल्याणार्थ हवन-पूजन में आहूति देने का मौका दिया जाता है। मंदिर समिति हर साल महाशिवरात्रि पर प्रसादी वितरण करती है।
मंदिर समिति के सचिव और प्रचार मंत्री मनोज रेलवानी ने बताया कि कामाख्या मंदिर की प्रसिद्धि गुवाहाटी के समान आंबूवाची पूजा हर साल पांच दिवसीय महोत्सव का आयोजन करती है। महाशिवरात्रि पर पारद शिवलिंग की पूजा अमिष्ट सिद्धि देने वाली होती है। पारद शिवलिंग में शिव-शक्ति, लक्ष्मी, कुबेर सहित तैंतीस कोटि देवी देवता का निवास होता है।
पारद शिवलिंग को घर में स्थापित करने से भूमि दोष, पितृदोष, कुलदेवी-देवता दोष, नवग्रह दोष से होने वाली पीड़ा से मुक्ति मिलती है। साथ ही महाशिवरात्रि पर पारद शिवलिंग की पूजा-अर्चना-अभिषेक करने से लडक़े-लड़कियों के विवाह में होने वाली देरी से मुक्ति मिलने के साथ शीघ्र विवाह के योग बनते है। पं. हिरेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि पारद शिवलिंग और भगवान शिव में कोई अंतर नहीं है। इनका ध्यान करने से मन की चंचलता शांत होती है। पारद में एक अरब गुण होते है। शिवमहापुराण में पारद शिवलिंग के दर्शन, स्पर्श और पूजन से मिलने वाले फल के बारे में कहा गया है कि जो मनुष्य भक्ति भाव से रसलिंग बनाकर पूजन करता है वह तीनों लोकों में जितने शिवलिंग है उन सभी की पूजा के फल को प्राप्त करता है। स्वयंभू सहस्त्रों शिवलिंग की पूजा करने से जो फल प्राप्त होता है, उससे करोड़ गुना फल पारद शिवलिंग की पूजा से प्राप्त होता है।
पं. हिरेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि इस भूमंडल पर केदारनाथ से लेकर जितने भी शिवलिंग है उन सबके दर्शन करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वहीं पुण्य केवल पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से होता है। साक्षात भगवान शिव ने पार्वती से कहा है कि हे पार्वती जो मनुष्य हृदय कमल में स्थित पारद शिवलिंग का स्मरण करता है वह अनेक जन्मों के संचित पापों से तत्काल मुक्त हो जाता है। पारद शिवलिंग की महिमा का वर्णन इन शब्दों को पढक़र स्वत: श्रद्धा जाग्रत हो जाती है। जो पुण्य एक सौ अश्वमेघ यज्ञ करने से, करोड़ों गाएं दान करने से, एक हजार तोला सोना दान करने से तथा सभी तीर्थो में अभिषेक करने से होता है वहीं पुण्य महाशिवरात्रि पर पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से प्राप्त होता है। ज्योतिष की दृष्टि से कर्क, वृषभ, तुला, शिथुन, कन्या राशि के जातकों को इसकी पूजा से विशेष फल प्राप्त होता है। सामान्य रूप से पारद शिवलिंग के पूजन से विद्या, धन, ग्रहदोष निवारण कार्य में आने वाली बाधाएं और ऊपरी बाधाएं दूर होकर सुख समृद्धि प्राप्त होती है।