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न्यायपालिका के लिए अवसंरचना के विकास में हुई प्रगति

न्यायपालिका के लिए अवसंरचना के विकास में हुई प्रगति

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नई दिल्ली। अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए न्यायिक अवसंरचना प्रदान करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। केंद्र सरकार न्यायिक अवसंरचना के विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के संसाधनों की पूर्ति करती है। इस योजना में न्यायालय सभागृह और न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय इकाइयों के साथ-साथ अधिवक्‍ता सभागृह, शौचालय परिसर और डिजिटल कंप्यूटर कक्ष का निर्माण शामिल है।

योजना के तहत न्यायिक अवसंरचना की प्रगति की निगरानी न्याय विकास पोर्टल 2.0 के माध्यम से की जाती है। इस पोर्टल के अनुसार, न्यायिक अधिकारियों के लिए जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में अब तक 23,074 न्यायालय कक्ष तथा 20,889 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा चुका है, जिनमें से वर्ष 2014 से अब तक 7,256 न्यायालय सभागृह तथा 10,678 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त, अभी तक 3,022 न्यायालय कक्ष तथा 2,493 आवासीय इकाइयां निर्माणाधीन हैं। पूर्ण हो चुके तथा निर्माणाधीन न्यायालय कक्षों एवं आवासीय इकाइयों का राज्य/संघ राज्य क्षेत्रवार विवरण संलग्न है।

वर्ष 1993-94 में योजना की शुरुआत के बाद से उत्तर प्रदेश राज्य को केंद्रीय अंश के रूप में 1,656.41 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है, जिसमें से चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 74.12 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इस योजना के तहत, उत्तर प्रदेश राज्य में जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों के लिए अब तक कुल 2,835 न्यायालय सभागृह और 2,555 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश में 329 न्यायालय सभागृह और 258 आवासीय इकाइयों का निर्माण कार्य चल रहा है।

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