नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर तथा गुजरात के हर्बल पारंपरिक ज्ञान के संरक्षकों को 23 जुलाई, 2024 को कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर में सम्मान समारोह के दौरान उत्कृष्ट ज्ञान धारकों को सम्मानित किया गया था। इस दिशा में काम करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की एक स्वायत्त संस्था, राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन (एनआईएफ) ने 26 उत्कृष्ट विद्वानों को हर्बल पेटेंट अनुदान से सम्मानित किया। इससे वाणिज्यिक और सामाजिक उपक्रमों के लिए प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इस तरह के ज्ञान संरक्षण और मान्यता देने से वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हर्बल प्रथाओं को प्रौद्योगिकी स्तर पर आगे बढ़ाने और उद्योग साझेदारी में मदद मिल सकती है। ये सहयोगात्मक प्रयास सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के लिए स्वदेशी लागत से प्रभावी समाधानों की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
इस तरह की पहल भारत की हर्बल विरासत के लिए महत्वपूर्ण हैं और टिकाऊ प्रथाओं की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देती हैं जो आर्थिक विकास और सामुदायिक लचीलेपन को बढ़ावा दे सकती हैं। ये विशेषताएं टिकाऊ प्रथाओं के विकास के साथ-साथ हर्बल औषधीय उत्पादों के फार्मास्युटिकल विकास की दिशा में मार्ग प्रशस्त करते हुए स्वदेशी ज्ञान की सुरक्षा के महत्व को उजागर करती हैं। इन प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करने से स्वास्थ्य प्रणाली को नए चिकित्सीय/सहायक उत्पादों के साथ पूरक बनाने में मदद मिलती है।