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छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहा, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी

लेखक तपन चक्रवर्ती

लेखक तपन चक्रवर्ती

(मासिक पत्रिका छत्तीसगढ़ प्राइड के संपादक)

देश का महान देश-भक्त छत्रपति शिवाजी महाराज आजीवन भारत भूमि को मुगल सम्राज्य से मुक्ती दिलाने हेतु लड़ाई लड़ी। छत्रपति शिवाजी महाराज सन् 1674 में पश्चिम भारत में मराठा सम्राज्य की स्थापना किये है। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म शाहाजी भोंसले सैनिक परिवार में 19 फरवरी 1630 को हुआ। माता जीजाबाई ने बालक शिवाजी को धर्म और न्याय मूल्यों से परिचय करवाये। शिवाजी का बचपन युद्ध एवं साहसिक गतिविधियों से परिचय होता रहा। शिवाजी पुरे जीवनकाल में अन्याय के विरूद्ध आवाज बुलंद किये। शिवाजी स्वयं के सैनिक दल गठन कर उन्हे धैर्य, साहस एवं समर्पण पर प्रशिक्षण दिये। छत्रपति शिवाजी के शासनकाल में दीवान-ए-आम, दीवाने-ए-खास और दरबारी सभा को जनता ने खूब प्रशंसा भी किये। छत्रपति शिवाजी की मृत्यु 03 अप्रेल 1680 को साजिश के तहत जहर देकर मार दिये गयें। छत्रपति शिवाजी के प्रेरणास्त्रोत महाराणा प्रताप रहें।
महान देश भक्त शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची आदमकद मुर्ति का अनावरण 07 दिसंबर 2023 को मुंबई स्थित सिंधू दुर्ग किले में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों से हुआ था। इस मुर्ति की लागत 3600 करोड़ रूपयों की है। जिसे महाराष्ट्र सरकार लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित की गई है। यह महंगी मुर्ति सक्रीय भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के कारण विगत 27 अगस्त 2024 के दोपहर 1ः00 बजे ढह गई है। नौ-सेना दिवस के दिन ‘‘बहादूरी को सलाम‘‘ के नाम से स्थापित किया गया था। आम जनता की यह धारणा रहती है कि देश के कोई भी संरचना का उद्घाटन यदि देश के प्रधान मंत्री द्वारा किया जाता है, तो उस संरचना की मंजबूती एवं टिकाऊपन अधिक रहती है। किंतू 3600 करोड़ की लागत से बनी 35 फूट ऊंची मुर्ति का ढहना, महाराष्ट्र शासन लोक निर्माण विभाग की अकर्मण्यता एवं भ्रष्टाचार से लिप्त कमीशन खोर आॅफसरों की मिली भगत को उजागर करता है। छत्रप्रति शिवाजी महाराज की मुर्ति का ढ़हना देश के महारन वीर सपुत का अपमान एवं अक्षम्य अपराध के श्रेणी में आता है। देश के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा शिवाजी महाराज की मुर्ति का अनावरण के 67 साल के बाद भी आज दिनांक तक मजबूती के साथ खड़ी हैं।

छत्रपति शिवाजी की मुर्ति के ढ़हने बाद पुरे देश एवं महाराष्ट्र की सियासी पारा, एकदम उफान पर है। वर्तमान समय में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी मची हुई है। इस दरिम्यान में छत्रपति शिवाजी की मुर्ति का ढ़हना विपक्षी राजनितिक दलों को एक जबरदस्त मुद्दा हाथ में लग गया है। जिसे लेकर शिव सेना (उद्धव ठाकरे) के प्रखर नेता संजय राऊत ने मुख्य मंत्री एकनाथ शिंदे से सीधा इस्तीफा की मांग किये है। और यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा राजनैतिक मुराद के तहत् चुनाव में फायदा मिलने की उम्मिद से जल्दबाजी में लियें गयें निर्णय का नतीजा है। अगर मुर्ति का अनावरण पवित्र मन के साथ हुआ होता तो आज मुर्ति नहीं ढहती। कई विपक्षी नेताओं द्वार इसे महान देश भक्त वीर सपूत का अपमान बताया गया है। विधायक वैभव नाईक द्वारा लोक निर्माण विभाग के कार्यालय जाकर अपना विरोध प्रदर्शन भी कियें है। विपक्षी नेता संजय राऊत ने दोषी अफसरों व ठेकेदारों पर सख्त कार्यवाही करने हेतु महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बनाये हुए है। इसके अतिरिक्त संजय राऊत कहना है कि ऊंचे पद पर आसीन अफसर और ठेकेदार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बचाया जा रहा है। विरोधी पक्षों द्वारा लगातार दबाव बनाये जाने कारण महाराष्ट्र पुलिस द्वारा ठेकेदार जयदीप आप्टे और लोक निर्माण विभाग के स्ट्रक्चरल कसल्टेंट आफिसर के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिये गयें है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा बहुत जल्द छत्रपति शिवाजी महाराज की नई प्रतिमा स्थापित किया जावेगा। इसके अतिरिक्त सरकार का कहना है कि तेज हवायें 45 कि.मी. / प्रति घंटा की रफ्तार से चलने के अलावा अतिवृष्टि के कारण मुर्ति ढह गई है। जबकि विपक्षी नेताओं के द्वारा इसे कोरी-बकवास कहा गया है। जबकि दुसरी तरफ सन् 1933 में बाल गंगाधर तिलक की मुर्ति मुबई समुद्र के किनारे पर स्थित है। किंतू आज दिनांक तक अपनी मजबूती के साथ खड़ी हुई है। इसके अलावा मुंबई में 30 नवम्बर 1957 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री मंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज‘‘ जी की मुर्ति अनावरण किया था, वह मुर्ति आज दिनांक तक अपनी मजबूती का परिणाम बतलाता है। वही दुसरी तरफ देश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज‘‘ जी की मुर्ति 04 दिसम्बर 2023 को अनावरण किया गया है। यह मुर्ति 27 अगस्त 2024 को भ्रष्टाचार की भेंट में चढ़ जानें कारण, हल्की बरसात और धीमी हावाओं को झेल नहीं पाने कारण मुर्ति ढह गई।

1957 को स्थापित ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज‘‘ की मुर्ति आज दिनांक तक कई बरसात और आंधी तुफानों का सामना कर चुका हैं। फिर भी शिवाजी महाराज की मुर्ति में कोई प्रभाव नहीं पड़ा। दुर्भाग्यवश नरेन्द्र मोदी जी द्वारा महत्वपूर्ण संरचनाओं का लोकार्पंण हुए है। उद्वारण के तौर पर नए संसद भवन जो पहली बरसात में छत टपकने लगा और अति महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत आयोध्या में नवनिर्मित ‘‘राम मंदिर‘‘ का भी छत पहली बरसात में पानी का टपकना भी भ्रष्टाचार में संलिप्त ठेकेदारों एवं कमीशन खोर अफसरों का खुला खेल सामने आया है। और दुसरी तरफ आयोध्या नगरी के ‘‘राम मंदिर‘‘ तक नवनिर्मित पहुंच मार्ग भी पहली बरसात में भ्रष्टाचार के बोझ तले कई जगह धंस गई है। और गई जगहों से डामर की परतें उखड़ चुकी है। इसके बावजूद भी भ्रष्ट अफसरों पर कोई भी कार्यवाही आज दिनांक तक नहीं की गई है। प्रायः सभी भ्रष्ट अफसरों को पदोन्नती देकर आगे का रास्ता बना दियें गयें हैं। जो विकसित भारत को परिभाषित करता है। चुंकि विकसित भारत में ट्रेन दुर्घटनाओं का होना छोटी-मोटी घटना माना गया है। इसके अलावा छक्। समर्थित बिहार सरकार द्वारा निर्मित सभी पूल एक बाद एक जमींदारोज हो रही है। क्या यही विकसित भारत की सफलताओं को रेखांकित करता है?

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