
kisano ko di salah
धमतरी। वर्तमान में किसानों को अल्प वर्षा/खण्ड वर्षा का सामना करना पड रहा है., जिसके कारण कृषि कार्य में तेजी नहीं आ रही है। पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण बीज बोनी कार्य प्रभावित हो रही है। इसके मद्देनजर उप संचालक कृषि ने बताया कि सुनिश्चित सिंचाई साधन सम्पन्न किसान अपना कृषि कार्य कर रहे हैं, लेकिन गैर अपासी वाले कृषकों को आज की स्थिति में अच्छी बारिश का इंतजार करना पड रहा है। इन परिस्थितियों में किसानों के लिए कृषि विभाग द्वारा समसामयिकी सलाह दी गई है। ऐसे खेत जिनमें रोपा नहीं लगाया गया है, वहां वर्तमान स्थिति में धान की कतार बुआई करें एवं कम तथा मध्यम अवधि (90 से 110 दिन) की अवधि वाले घान के किस्मों का चयन करें।

कुछ किस्मों का किसान अपनी खेती के मिट्टी एवं परिस्थति के अनुसार चयन कर सकते हैं, ये किरण है-विक्रम टीसीआर, महामाया, एम.टी.यू. 1010। ऐसी परिस्थितियों में बीज दर सामान्य से 15 से 20 प्रतिशत अधिक रखा जाना उचित होता है।
उप संचालक ने यह भी बताया कि उच्च भूमि क्षेत्र वाले खेतों में धान के स्थान पर कम जल मांग वाली फसलें मूंग, उड़द, तिल, अरहर व मक्के की खेती कर सकते हैं। मूंग-शिखा, विराट, पी.के.व्ही.एम.के.एम-4 एवं उड़द हेतु इंदिरा उड़द-1, एनयूएल 7, आईपीयू 11-02, आईपीयू 10-26 आई.पी.यू. 31-1 आईपीयू 17-1. टी.जे.यू-130 इत्यादि किस्मों का चयन अपनी सुविधा अनुसार कर सकते हैं। साथ ही जिन खेतों में धान की रोपाई हो चुकी है, वहां 15 से 20 दिनों बाद की जाने वाली यूरिया का छिडकाव मौसम को देखते हुये करें।
देरी से रोपाई की स्थिति में अधिक अवधि का थरहा होने पर उसकी पत्तियों के ऊपरी भाग को तोड़कर प्रतिदिन 3 से 4 पौधा लगायें। रोपाई से पूर्व थरहा का कीटनाशक एवं यूरिया उपचार अवश्य करें। ऐसा करने से पौधे लंबे समय तक कीटव्याधि से सुरक्षित रहेंगे तथा यूरिया उपचार होने के कारण नाईट्रोजन जैसे पोषक तत्वों की भरपाई लंबे समय तक बनी रहेगी। थरहा उपचार हेतु क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी दवाई की 3 से 4 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर उपचार करें। इसी तरह 20 ग्राम यूरिया को 1 लीटर पानी में घोलकर एक घंटे तक जड़ों को डुबाकर उपचारित करना अच्छा होता है।